भारत को 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी का अधिकार मिल गया है. स्कॉटलैंड के ग्लासगो में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स जनरल असेम्बली में हुई बैठक में भारत के अहमदाबाद शहर के नाम को औपचारिक मंजूरी मिल गई है. यह भारत की उस महत्वाकांक्षी योजना में बड़ा कदम है जिसके तहत वह एक ग्लोबल मल्टी-स्पोर्ट हब बनना चाहता है.
भारत ने आखिरी बार 2010 में दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी की थी. इस बार ये आयोजन अहमदाबाद में होगा, जहां पिछले एक दशक में स्पोर्ट्स इंफ्रा को तेज गति से विकसित किया गया है. 2030 की कॉमनवेल्थ बोली में भारत का मुकाबला नाइजीरिया के शहर अबुजा से था, लेकिन कॉमनवेल्थ स्पोर्ट ने अफ्रीकी देश को 2034 एडिशन के लिए विचार में रखने का फैसला किया.
2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में करीब 70,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो शुरुआती अनुमान 1,600 करोड़ रुपये से कई गुना अधिक था. कॉमनवेल्थ गेम्स को पिछले कुछ वर्षों से प्रासंगिक बनाए रखना और मेजबान ढूंढ़ना चुनौती भरा रहा है. इस आयोजन में 72 देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं, जिनमें ज्यादातर पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश शामिल हैं.
हाल के महीनों में अहमदाबाद ने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप, एशियन एक्वाटिक्स चैंपियनशिप और AFC U-17 एशियन कप क्वालिफायर्स जैसे आयोजन कराए हैं. आने वाले समय में यहां एशियन वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप, एशिया पैरा-आर्चरी कप और 2029 वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स भी होंगे. सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव में एक विशाल परिसर विकसित किया जा रहा है, जिसमें विश्व की सबसे बड़ी नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम के साथ एक्वाटिक्स सेंटर, फुटबॉल स्टेडियम और इनडोर एरिनाज तैयार होंगे. 3,000 एथलीटों के लिए एथलीट विलेज भी इसी परिसर में बनाया जाएगा.
2026 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स का बजट सीमित रखा गया है और सिर्फ 10 खेल शामिल किए गए हैं. इसमें कुश्ती, शूटिंग, बैडमिंटन और हॉकी जैसे खेलों को हटा दिया गया है, जिसका भारत ने कड़ा विरोध किया था. लेकिन IOA ने स्पष्ट किया है कि भारत 2030 गेम्स में अपने सभी पदक देने वाले खेलों को शामिल करेगा. IOA संयुक्त सचिव कल्याण चौबे ने कहा था कि शूटिंग, कुश्ती, तीरंदाजी जैसे खेलों के साथ कबड्डी और खो-खो जैसे पारंपरिक खेलों को भी जोड़ने की योजना है.
