अमरोहा। देश की प्रथम संगठित किसान क्रांति के सत्याग्रही, लेखक, पत्रकार एवं महान क्रांतिकारी विजय सिंह पथिक की नीतियों को विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
महान क्रांतिकारी विजय सिंह “पथिक” की 141 वीं जयंती के अवसर पर गुरुवार को आयोजित किसान संगोष्ठी में बताया गया कि पथिक जी ने संघर्ष भरे जीवन के बावजूद लेखन कार्य जारी रखते हुए हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, राजस्थानी और पंजाबी आदि भाषाओं में लगभग 32 पुस्तकें लिखीं थीं। उनके द्वारा छह अख़बारों का संपादन किया गया।1857 की क्रांति में अंग्रेजी सेना से लोहा लेते हुए वह वीरगति को प्राप्त हुए।

इस अवसर पर विश्व हिंदी मंच अध्यक्ष तथा राज्य अध्यापक पुरस्कार प्राप्त डॉ यतीन्द्र कटारिया ने कहा कि विजय सिंह “पथिक” का योगदान भारत के इतिहास में अतुलनीय है।सरदार पटेल महासभा तथा विजय सिंह पथिक विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में जिले में अलग-अलग स्थानों पर आयोजित संगोष्ठियों में विशेष रूप से उपस्थित उच्च शिक्षित युवाओं को इंगित करते हुए बताया गया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उन्हें सच्चा किसान नेता मानते हुए कहते थे कि यदि मुझे पथिक जैसे धुन के धनी मिल जाएं तो भारत की आजादी को मैं शीघ्र प्राप्त कर लूं लेकिन भारत के गौरवशाली इतिहास के लिए यह बड़ी दुख और विडंबना की बात है की विजय सिंह पथिक के महान योगदान को आज़ भुला दिया गया। जबकि आधुनिक राजस्थान के निर्माता के रूप में उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर जनपद के गांव गुठावली अख्तियार पुर 1884 में 27 फरवरी को जन्मे भूप सिंह राठी उर्फ विजय सिंह पथिक का योगदान देश के अन्य नेताओं से कम नहीं है। देश के प्रथम संगठित क्रांति किसान क्रांति के प्रणेता विजय सिंह पथिक का बिजोलिया किसान सत्याग्रह पूरे देश के लिए उदाहरण है। जिस से प्रभावित होकर के सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बारदोली किसान सत्याग्रह का संचालन किया था। वहीं दूसरी ओर क्रांतिकारी सहयोगी शचींद्र नाथ सान्याल के साथ वह संपूर्ण विप्लव योजना के संवाहक थे।


इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यजनों ने मां भारती के सच्चे सपूत विजय सिंह पथिक को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पथिक जी द्वारा रचित “यश वैभव सुख की चाह नहीं परवाह नहीं जीवन न रहे यदि इच्छा है तो यह है जग में स्वेच्छाचार दमन न रहे ” दो पंक्तियों के माध्यम से भावपूर्ण स्मरण किया गया।


इस अवसर पर भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश से सरकार से प्रबल मांग की गई कि देश के सच्चे सपूत और महान क्रांतिकारी विजय सिंह पथिक का राजधानी दिल्ली में भव्य राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाए एवं नोएडा में उनके नाम पर एक राष्ट्रीय किसान प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाए।

@महिपाल