भारत में वायरल इंफेक्शन MPox का खतरा एक बार फिर से बढ़ता नजर आ रहा है. केरल में दूसरा मामला रिपोर्ट किया गया है. राज्य के एर्नाकुलम इलाके के निवासी की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है. मरीज को हॉस्पिटल में आइसोलेट किया गया है और इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, अभी तक इस मामले में स्ट्रेन का पता नहीं चल पाया है.

एमपॉक्स एक वायरल इंफेक्शन है जो मंकी पॉक्स वायरस (MPXV) के कारण होती है. यह ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति है. एमपॉक्स को पहले मंकी पॉक्स के नाम से जाना जाता था. 

इस वायरस की पहचान वैज्ञानिकों ने पहली बार 1958 में की थी जब बंदरों में ‘पॉक्स जैसी’ बीमारी का प्रकोप हुआ था. एमपॉक्स (Mpox) वायरस के उसी परिवार से संबंधित है, जिसमें चेचक (Cheapox) होता है.

अभी तक उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, एमपॉक्स वायरल इंफेक्शन है जो मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति या जानवर के साथ संपर्क में आने से फैलता है. एमपॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक त्वचा या मुंह या जननांगों जैसे अन्य घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में अधिकांश मामले उन लोगों में देखे गए हैं जो संक्रमित जानवरों के साथ संपर्क में रहते थे. यह किसी संक्रमित व्यक्ति, जानवर या दूषित पदार्थों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह संक्रमण कपड़ों या लिनेन जैसी दूषित वस्तुओं के उपयोग, टैटू की शॉप, पार्लर या अन्य पब्लिक जगहों पर यूज होने वाली कॉमन चीजों से भी फैल सकता है. संक्रमित पशुओं से मनुष्यों को काटने, खरोंचने, खाने या जानवरों के साथ अन्य एक्टिविटी से भी यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है.

एमपॉक्स से संक्रमित लोगों को शरीर पर दाने हो जाते हैं जो हाथ, पैर, छाती, चेहरे या मुंह या जननांगों के आसपास हो सकते हैं. ये दाने फुंसी (मवाद से भरे बड़े सफेद या पीले दाने) और ठीक होने से पहले पपड़ी बनाते हैं. इसके अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द भी शामिल है.

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एमपॉक्स के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 21 दिनों के अंदर दिखना शुरू होते हैं. एमपॉक्स के संपर्क में आने और लक्षण दिखने का समय 3 से 17 दिन है. इस दौरान, व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखते. लेकिन इस समय के पूरा होने के बाद वायरस का असर दिखने लगता है.

मंकी पॉक्स वायरस (MPXV) संक्रमण के लिए कोई अलग ट्रीटमेंट नहीं है लेकिन डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स के खिलाफ इस्तेमाल के लिए कुछ टीकों की सिफारिश की है. एमपॉक्स की वैक्सीन संक्रमण और गंभीर बीमारी से बचा सकती हैं लेकिन कोई भी टीका 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है. वैक्सीनेशन के बाद इम्यूनिटी बढ़ने में कई हफ्ते लगते हैं. 

एमपॉक्स के संपर्क में आने के चार दिनों के भीतर टीका लगवाने से बीमारी से बचने का सबसे अच्छा मौका मिलता है. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के चार से 14 दिनों के बीच वैक्सीन लगवाने से बीमारी की गंभीरता कम हो जाती है.

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकी पॉक्स का संदिग्ध मामला मिलने को लेकर कहा, ‘इसको लेकर ‘अतिरिक्त चिंता’ की कोई जरूरत नहीं है. यह मामला नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) इस मामले को देख रही है.’ 

देश ऐसे मामलों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और किसी भी संभावित जोखिम को मैनेज करने और कम करने के लिए मजबूत प्रबंध किए गए हैं. पिछले महीने से ही एयरपोर्ट, बंदरगाहों और लेंड क्रॉसिंग पर हेल्थ यूनिट्स को अलर्ट पर रखा है. लेब्रोरेट्रीज और आइसोलेशन फैक्ट्रीज को भी तैयार रखा गया है.