
उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल से बंद मिले शिव मंदिर के बाद धार्मिक महत्व से जुड़े हुए स्थलों की खोज के लिए खुदाई का सिलसिला शुरू हो गया है. मंदिर के बाद मिली बिलारी की रानी की बावड़ी में भी बीते पांच दिनों से खुदाई का काम चल रहा है. इस बीच सरथल चौकी के पास एक पुराना कूप मिला है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कूप को ‘मृत्यु कूप’ के नाम से जाना जाता था. इसके जल से स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होने की मान्यता थी.
संभल में सरथल चौकी के पास ये प्राचीन कूप मिला है, जोकि शाही जामा मस्जिद से महज 150 मीटर की दूरी पर है. नगर पालिका की टीम ने जामा मस्जिद से इस पुराने ‘मृत्यु कूप’ की खुदाई शुरू कर दी है. आस-पास के लोगों ने इस कूप के काफी प्राचीन होने का दावा किया है.
लोगों ने दावा किया है कि प्राचीन कूप के पास ही महामृत्युंजय तीर्थ भी स्थित है. उनका कहना है कि दूसरे समुदाय के लोग इस तीर्थ की जमीन पर मालिकाना हक जताता रहा है. स्थानीय लोगों ने इस कूप का प्राचीन महत्व बताते हुए कहा कि इस कूप के जल से स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होने की मान्यता थी.
बीते 14 दिसंबर को संभल के मुस्लिम बहुल इलाके में बिजली चोरी को लेकर छापेमारी के दौरान बिजली विभाग और पुलिस की टीम को 46 साल से बंद पड़ा एक मंदिर मिला था. ये मंदिर सपा सांसद जियाउररहमान बर्क के घर से 200 मीटर की दूरी पर था. मंदिर के अंदर हनुमान जी की प्रतिमा, शिवलिंग और नंदी स्थापित थे. उसके बाद भारी सुरक्षा व्यवस्था के बाद इसमें पूजा-पाठ किया गया. इसके बाद से ही संभल में खुदाई जारी है और अलग-अलग इलाकों में ऐसे मंदिर और कूप मिल रहे हैं, जिन्हें जमीन के अंदर दफन कर दिया गया है.