
संभल जिला प्रशासन के खिलाफ शाही जामा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कमेटी ने अपनी याचिका में मस्जिद की सीढ़ियों और प्रवेश द्वार के पास स्थित निजी कुएं के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के लिए आदेश देने की गुहार लगाई है.
शाही जामा मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना इस संबंध में कोई कार्रवाई या कदम न उठाया जाए. साथ ही संभल जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश देने की मांग करते हुए कहा कि प्रशासन शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए समुचित कदम उठाए.
सुप्रीम कोर्ट पहुंची कमेटी ने कहा कि जिला प्रशासन इलाके में पुराने मंदिर और कुएं तलाशने में जुटा है. इतना ही नहीं शाही जामा मस्जिद कमेटी के चेताने के बावजूद मस्जिद के पास बने कुएं में जांच की गई. प्रशासन का ये काम किसी भी तरह शांति और सौहार्द स्थापित करने का नहीं था.
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर दावा किया गया है कि प्राचीन काल में ये हरिहर मंदिर था. इसको लेकर 19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश जारी कर दिया था. अदालत ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया. उसी दिन शाम को करीब चार बजे सर्वे के लिए टीम मस्जिद पहुंच गई और करीब दो घंटे के सर्वे किया.
हालांकि उस दिन सर्वे का काम पूरा नहीं हुआ. इसके बाद सर्वे की टीम 24 नवंबर को जामा मस्जिद पहुंची. दोपहर में मस्जिद के अंदर सर्वे हो रहा था, इसी दौरान भारी संख्या में लोग जमा हो गए. भीड़ ने पुलिस की टीम पर पत्थर फेंके, जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल हो गया. इस दौरान हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई. इस हिंसा के बाद से ही संभल सुर्खियों में बना हुआ है. यहां आगे से कोई आपराधिक कृत्य न हो, इसके लिए जामा मस्जिद के सामने खाली पड़ी जगह पर सत्यव्रत पुलिस चौकी का निर्माण किया जा रहा है.