
वक्फ संशोधन विधेयक 2025 अब कानून बन गया है. इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले वक्फ बिल दोनों सदनों से पास हो गया था.
वक्फ (संशोधन) विधेयक को शुक्रवार की सुबह राज्यसभा में लंबी बहस के बाद पारित कर दिया गया, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी. राज्यसभा में विधेयक पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई और पक्ष में 128 तथा विरोध में 95 वोट पड़े, जिसके बाद इसे पारित कर दिया. इससे पहले लोकसभा ने करीब 12 घंटे की बहस के बाद मंजूरी दी थी, जिसमें 288 मत पक्ष में और 232 मत विपक्ष में पड़े थे.
दोनों सदनों में बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों की ओर से कड़ी आपत्तियां व्यक्त की, जिन्होंने विधेयक को मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक करार दिया, जबकि सरकार ने जवाब दिया कि ऐतिहासिक सुधार से अल्पसंख्यक समुदाय को लाभ होगा. वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी.
वहीं, शनिवार को इस कानून के प्रावधानों को लागू करने या उसे कार्यान्वित करने पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 2 और याचिकाएं दाखिल की गई. एक याचिका दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक और वक्फ में घोटाले और गबन के आरोपी अमानतुल्लाह खान ने दाखिल की है, जबकि दूसरी याचिका एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स नामक संस्था ने दाखिल की.
इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) विधेयक की वैधता को चुनौती देते हुए कहा कि यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है.
नए कानून का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) द्वारा भी विरोध किया जा रहा है. AIMPLB ने पूरे देश में अभियान और विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य गलत सूचनाओं का मुकाबला करना और शांतिपूर्ण सक्रियता को बढ़ावा देना है.