अमरोहा। देश के जाने-माने पत्रकार तथा मूर्धन्य साहित्यकार, भारतीय संस्कृति के अध्येता डॉ सूर्यकांत बाली के निधन पर पत्रकारों, समाजसेवियों ने गहरी संवेदना व्यक्त की।


श्रीमती कमलेश जिन्दल मैमोरियल ट्रस्ट मंडी धनौरा के सभागार में डा. सूर्यकांत बाली के निधन पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रमुख समाजसेवी, धार्मिक आध्यात्मिक चिंतक डॉ बी एस जिंदल ने कहा कि नई दिल्ली से प्रकाशित होने वाले सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ हिन्दी दैनिक नवभारत टाइम्स में पाठकों का सबसे पसंदीदा कालम ‘रविवार्ता’ में उनके लेख प्रकाशित होते थे। जिन्हें शहरी ग्रामीण सभी लोग बहुत चाव से पढ़ते थे। डॉ बाली का जन्म 09 नवंबर 1943 को मुलतान (पाकिस्तान) में हुआ था। डॉ सूर्यकांत बाली 1987 में नवभारत टाइम्स के सहायक संपादक के रूप मे पत्रकारिता शुरू कर 1994 से 1997 तक स्थानीय संपादक के दायित्व संभालने के अलावा उन्होंने भारतीय संस्कृति, ‘भारत की राजनीतिक के महाप्रश्न’ तथा ‘भारत के व्यक्तित्व की पहचान’ समेत अन्य कई राजनीतिक लेखन कार्य जारी रखते हुए सामाजिक समरसता समन्वय आदि मुद्दों को अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से सरल भाषा में लोगों तक अपनी बात को पहुंचाया।


इस अवसर पर उपस्थित वरिष्ठ पत्रकार डॉ संतोष गुप्ता ने बताया कि दिवंगत डॉ बाली से उनकी आखिरी मुलाकात दिल्ली में जमुनादास अख़्तर तथा वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप तलवार के साथ हुई थी।
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार समिति के जिला अध्यक्ष महिपाल सिंह, सचिव डॉ तारिक़ अज़ीम, वरिष्ठ पत्रकार अनिल अवस्थी, उपाध्यक्ष बीएस आर्या , तुलाराम ठाकुर, परवेज़ सहारा आदि पत्रकारों एवं गणमान्यजनों अपनी ने शोक संवेदना में कहा की हम सब डॉ सूर्यकांत बाली को श्रद्धांजलि देने के लिए उपस्थित हुए हैं।

प्रख्यात लेखक, साहित्यकार व राष्ट्रवादी चिंतक डॉ. सूर्यकांत बाली जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। हिंदी व संस्कृत में उनकी विद्वत्ता अद्वितीय थी। राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत उनकी लेखनी ने जो लौ जलाई थी उसे बुझने नहीं दिया जाएगा। उनका साहित्य, संस्कृति व पत्रकारिता में अमिट योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।हम सब डॉ. बाली की स्मृतियों को नमन करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें।