सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान वक्फ कानून पर केंद्र सरकार को 7 दिन की मोहलत दी. केंद्र को एक हफ्ते के भीतर इस पर जवाब देने को कहा है. केंद्र का जवाब आने तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी. सरकार के जवाब तक यथास्थिति बनी रहेगी. इसके साथ ही अगले आदेश तक नई नियुक्तियां नहीं होगी. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 110 से 120 फाइलें पढ़ना संभव नहीं हैं. ऐसे में ऐसे पांच बिंदु तय करने होंगे. सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई होगी. नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय कीजिए. कोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. तब तक वक्फ बोर्ड और परिषद में नई नियुक्ति नहीं होगी. इसके साथ ही तय समय तक वक्फ बाय यूजर में बदलाव नहीं होगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान वक्फ कानून पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि, वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने पूछा है कि क्या हिंदुओं के धार्मिक संस्थानों में भी मुस्लिमों को शामिल करने के लिए तैयार हैं?

वक्फ कानून में किए गए संशोधन के खिलाफ देशभर से कई राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मुख्य याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई, वाईएसआरसीपी (YSRCP) सहित कई दल शामिल हैं. साथ ही इसमें एक्टर विजय की पार्टी टीवीके, आरजेडी, जेडीयू के मुस्लिम सांसद, AIMIM और AAP जैसे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. इनके अलावा, दो हिंदू पक्षों द्वारा भी याचिकाएं दायर की गई हैं. वकील हरिशंकर जैन ने एक याचिका दर्ज कराई है जिसमें दावा किया गया है कि अधिनियम की कुछ धाराओं से गैरकानूनी ढंग से सरकारी संपत्तियों और हिंदू धार्मिक स्थलों पर कब्जा किया जा सकता है. नोएडा की रहने वाली पारुल खेरा ने भी एक याचिका दायर की है, और उन्होंने भी इसी तरह के तर्क दिए हैं. धर्मिक संगठनों में समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने भी कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का भी इस मामले में अहम योगदान है.

केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्टे लगाने का कोई आधार नहीं है. अगर स्टे लगाया गया तो यह अनावश्यक सख्त कदम होगा. केंद्र सरकार ने जवाब के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है. कोर्ट के आदेश का बहुत बड़ा प्रभाव होगा.