पीएम मोदी ने अपने संबोधन में अमूल ब्रांड की उपलब्धियां बताईं और इसे सहकार का सामर्थ्य बताया. उन्होंने कहा कि, छोटे- छोटे पशुपालकों की ये संस्था, आज जिस बड़े पैमाने पर काम कर रही, वही संगठन की शक्ति है. सहकार की शक्ति है. गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था वो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है और इस विशाल वटवृक्ष की शाखाएं आज देश विदेश तक फैल चुकी हैं.

गुजरात कॉपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्वर्ण जयंती पर आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं.

भारत की आजादी के बाद देश में बहुत से ब्रांड बने, लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं. आज अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है.

अमूल यानी विश्वास,
अमूल यानी विकास,
अमूल यानी जनभागीदारी,
अमूल यानी किसानों का सशक्तिकरण,

अमूल यानी समय के साथ आधुनिकता का समावेश,
अमूल यानी आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा,
अमूल यानी बड़े सपने, बड़े संकल्प और उससे भी बड़ी सिद्धियां.

भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़, महिलाशक्ति है. दूरगामी सोच के साथ लिए गए फैसले कई बार आने वाली पीढ़ियों का भाग्य कैसे बदल देते हैं, अमूल इसका एक उदाहरण है. अमूल भारत के पशुपालकों के सामर्थ्य की पहचान बन चुका है. गुजरात के गांवों ने मिलकर 50 वर्ष पहले जो पौधा लगाया था, वो आज विशाल वटवृक्ष बन गया है.

जीसीएमएमएफ के स्वर्ण जयंती समारोह में सवा लाख से ज्यादा किसान हिस्सा ले रहे हैं. जीसीएमएमएफ सहकारी समितियों के एकजुटता , उनकी उद्यमशीलता की भावना और किसानों के दृढ़ संकल्प का एक प्रमाण है, जिसने अमूल को दुनिया के सबसे मजबूत डेयरी ब्रांडों में से एक बना दिया है.