
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर पूरा विपक्ष राजनीति कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं 2019 से ही कह रहा हूं कि सीएए लागू होगा. गृह मंत्री ने एक बार फिर से अल्पसंख्यक समुदाय को आश्वासन दिया कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है, बल्कि ये नागरिकता देने के लिए है. उन्होंने कहा कि जितने भी लोग अखंड भारत का हिस्सा थे, उन्हें नागरिकता दी जाएगी.
गृह मंत्री अमित शाह ने समाचार एजेंसी एएनआई को इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे सिर्फ वोट बैंक को साधने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं. अमित शाह ने कहा कि विपक्ष का इतिहास रहा है कि जो वो बोलते हैं, उसे पूरा नहीं करते हैं. मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या बीजेपी ने जो कहा है, वो पत्थर की लकीर होती है. मोदी की हर गारंटी पूरी होती है.
सीएए की टाइमिंग पर विपक्ष को दिया जवाब
इंटरव्यू के दौरान जब उनसे सीएए की टाइमिंग को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘ओवैसी, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी समेत सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति कर रहे हैं. टाइमिंग का कोई सवाल ही नहीं है. बीजेपी ने 2019 में अपने घोषणापत्र में कहा था कि वह सीएए लाएगी और अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता देगी.’
गृह मंत्री ने कहा, ‘सीएए 2019 में ही संसद में पारित किया गया था, लेकिन कोविड की वजह से इसे लागू करने में देरी हुई. विपक्ष तुष्टिकरण की राजनीति करना चाहता है और अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहता है. वे बेनकाब हो चुके हैं और देश की जनता जानती है कि सीएए इस देश का कानून है. मैं पिछले 4 साल में 41 बार कह चुका हूं कि इसे चुनाव से पहले लागू किया जाएगा.’
‘पीएम मोदी ने जो कहा, वो पत्थर की लकीर’
गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया गया कि विपक्ष का आरोप है कि सीएए के जरिए बीजेपी नया वोट बैंक तैयार कर रही है. इस पर अमित शाह ने कहा, ‘विपक्ष के पास और कोई काम नहीं है, उन्होंने यहां तक कह दिया था कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक करने में बीजेपी को राजनीतिक फायदा है, तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने तो यह भी कहा था कि आर्टिकल 370 को हटाना भी हमारे राजनीतिक फायदे के लिए था.’
बीजेपी के वादों को याद दिलाते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘हम 1950 से कहते आ रहे हैं कि आर्टिकल 370 को हम हटाएंगे. विपक्ष का इतिहास रहा है कि वो जो बोलते हैं, उसे करते नहीं हैं. मोदी जी का इतिहास है कि जो बीजेपी या पीएम मोदी ने कहा, वो पत्थर की लकीर है. मोदी की हर गारंटी पूरी होती है.’
सीएए के अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं: अमित शाह
सीएए नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इस बात का भ्रम फैलाया जा रहा है कि इससे लोगों की नागरिकता चली जाएगी. अमित शाह ने एक बार फिर से इस भ्रम को दूर किया है. उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यकों या किसी अन्य व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. सीएए केवल अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को अधिकार और नागरिकता देने के लिए है.’
राहुल गांधी पर क्या बोले अमित शाह?
राहुल गांधी के सीएए पर सवाल उठाने को लेकर अमित शाह ने कहा कि उन्होंने लोगों के बीच जाकर समझाना चाहिए कि आखिर सीएए देश के खिलाफ क्यों है. ठीक वैसे ही जैसे हम समझा रहे हैं कि ये लोगों के फायदे के लिए है. विदेशी मीडिया के जरिए तीन तलाक, सीएए और धारा 370 पर सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विदेशी मीडिया से पूछा जाना चाहिए कि क्या उनके देश में तीन तलाक, मुस्लिम पर्सनल लॉ, आर्टिकल 370 जैसे प्रावधान हैं.
मुस्लिमों को CAA में शामिल नहीं करने पर आया अमित शाह का बयान
गृह मंत्री से जब सवाल किया गया कि सीएए में मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान क्यों नहीं किया गया है? इसे लेकर उन्होंने कहा, ‘जो लोग अखंड भारत का हिस्सा थे और जिन पर अत्याचार किया गया, उन्हें भारत में शरण दी जानी चाहिए और यह हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है.’
अमित शाह ने कहा, ‘जब बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान में 23% हिंदू और सिख थे, लेकिन अब उनमें से केवल 3.7% ही बचे हैं. वे सब कहां चले गये? वे यहां नहीं लौटे हैं. उनका धर्म परिवर्तन करवाया गया, उनका अपमान किया गया, उन्हें दोयम दर्जे का दर्जा दिया गया। वे कहां जाएंगे? क्या संसद उनके बारे में नहीं सोचेगी?’
उन्होंने कहा, ‘अगर मैं सिर्फ बांग्लादेश की बात करूं तो 1951 में यहां हिंदू आबादी 22 फीसदी थी, लेकिन आज ये घटकर 10 फीसदी पर पहुंच गई है. वे लोग कहां गए?’
‘मुस्लिमों को नागरिकता के लिए आवेदन का अधिकार’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘मुस्लिमों को भी नागरिकता के लिए आदेवन करने का अधिकार है. किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं. ये स्पेशल एक्ट इसलिए बनाया गया है, क्यंकि लोग बिना किसी डॉक्यूमेंट के आए हैं. हम उन लोगों के लिए रास्ता खोजेंगे जिनके पास डॉक्यूमेंट नहीं हैं, लेकिन जिनके पास डॉक्यूमेंट हैं, उनकी संख्या 85 फीसदी है. उनके लिए कोई समय सीमा नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘नागरिकता के आवेदन के लिए समय लग सकता है. भारत सरकार आपको उपलब्ध समय के अनुसार इंटरव्यू के लिए बुलाएगी. डॉक्यूमेंट्स का ऑडिट कर सरकार आपको बुलाएगी और फिर इंटरव्यू होगा. ऐसे उन सभी लोगों का यहां स्वागत है, जो 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 2014 के बीच आए हैं.’
क्या बदलेगी आदिवासी क्षेत्रों की संरचना? जानें जवाब
गृह मंत्री से जब ये पूछा गया कि क्या सीएए आदिवासी क्षेत्रों की संरचना को बदल देगा. इस पर उन्होंने कहा, ‘जरा भी नहीं. सीएए आदिवासी क्षेत्रों की संरचना और अधिकारों को नहीं बदलेगा या कमजोर नहीं करेगा. हमने अधिनियम में ही प्रावधान किया है कि जहां भी इनर लाइन परमिट है और जो क्षेत्र संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल हैं, वहां सीएए लागू नहीं होगा. उन क्षेत्रों के पते वाले आवेदन ऐप पर अपलोड नहीं किए जाएंगे. हमने इसे ऐप से बाहर कर दिया है.’