नरेंद्र मोदी सरकार कल लोकसभा में वक्फ बोर्ड बिल पेश कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार कल ही इस बिल को पेश करने जा रही है. बताया जा रहा है कि सरकार चाहती है कि इस बिल में सभी दलों को साथ लिया जाए. इसलिए सरकार बिल पर सर्व सम्मति बनाने के लिए उसे सेलेक्ट कमेटी को भेज सकती है.

सूत्रों के मुताबिक सरकार की प्राथमिकता इस बिल को आम सहमति से सदन में पारित कराकर गरीब मुस्लिम, मुस्लिम महिला और अनाथ मुस्लिमों को न्याय दिलाना है. अगर सदन में इस बिल पर आम सहमति नहीं बनी तो सरकार इस बिल को और ज्यादा चर्चा के लिए किसी संयुक्त समिति को भी भेज सकती है.

इस बिल पर पिछले 2 महीने में सरकार ने लगभग 70 ग्रुप से मशविरा किया है. बिल का मकसद वक्फ संपत्तियों को अवैध कब्जे से निजात दिलाना है. बता दें कि वक्फ के पास देश में सबसे बड़ी चल और अचल संपत्ति है. हालांकि, इससे ऊपर रेलवे और डिफेंस हैं, लेकिन वह सरकारी संपत्ति है.

‘संपत्ति पर अधिकार की घटेगी शक्ति’

इस बिल में सरकार मौजूदा वक्फ बोर्ड अधिनियम की धारा-40 को भी बदलने की तैयारी में है. यह नियम बोर्ड को किसी संपत्ति को अपनी जमीन घोषित करने की ताकत देता है. इस नए बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों का रोल काफी संशोधित किया जा सकता है, साथ ही इन निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है.

इस विधेयक में बोहरा और आगाखानियों के लिए एक अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का भी प्रस्ताव है. मसौदा कानून मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व की सिफारिश करता है. इसका एक उद्देश्य केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है. किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार एक विस्तृत प्रक्रिया करनी पड़ेगी.