गजरौला ( अमरोहा)। भारतीय किसान यूनियन (संयुक्त मोर्चा) राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश चौधरी ने कहा कि उत्तरी भारत के प्रसिद्ध तिगरी मेले में गुरु नानक देव जयंती के पावन अवसर पर विशेष रूप से’अन्नदाता लंगर तथा गंगा घाटों पर सफाई अभियान का आयोजन किया गया था। यहां खिचड़ी प्रसाद वितरण के माध्यम से सिख धर्म के सेवा भाव को जीवंत करने का प्रयास था। लेकिन इस बार यह उत्सव उस समय किसानों के लिए निराशा का केंद्र बन गया जब डेरे डालने की पर्याप्त जगह न होने की वजह बताई गई तो ट्रैक्टर ट्रालियों में सवार हजारों किसान भरे मन से गंगा मेले से निराश हो लौटने को विवश हो गए। गंगा स्नान मेला किसानों का अभिन्न अंग है, जो धार्मिक शांति प्रदान करता है। इस कमी ने उनकी भावनाओं को गहरा आघात पहुंचाया।


भारतीय किसान यूनियन संयुक्त मोर्चा ने इस घटना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भावनाओं के विपरीत जिला प्रशासन की घोर लापरवाही बताते हुए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करने की मांग की है। यूनियन के नेताओं का कहना है एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 26 अक्टूबर को गढ़ मेला आगमन पर श्रद्धालुओं को सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने तथा ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं के मेले में पहुंचने का आह्वान किया गया था वहीं दूसरी ओर मेला प्रबंधन जगह की कमी बता कर ट्रैक्टर ट्रालियों का रुख़ कांकाठेर की ओर मोड़ देने से बगैर गंगा स्नान किए निराश श्रद्धालुओं की घर वापस लौट जाना जिला प्रशासन की बड़ी विफलता है।
गौरतलब हो कि 28 अक्टूबर को वीआईपी रोड़ बताकर गंगा किनारे लगे श्रद्धालु किसानों के तंबू उखाड़े दिए गए, जिससे वह अपमानित महसूस कर प्रताड़ना का शिकार हुए। आध्यात्मिक संतुष्टि से भी वंचित रहना श्रद्धालुओं के लिए अच्छा अनुभव नहीं कहा जा सकता। तिगरी गंगा मेले की चमकती तस्वीर के पीछे का सच यह भी है कि लाखों श्रद्धालु बेहद निचले स्तर पर अंधेरे के दलदल में पड़े रहते हैं। श्रद्धालुओं की भलाई के लिए तिगरी गंगा मेले से जुड़ी तमाम अव्यवस्थाओं पर गंभीरता से विचार करने तथा लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी होगी।


मेला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए किसान नेता नरेश चौधरी ने कहा कि अन्नदाताओं के लिए न्यूनतम सुविधाएं भी उपलब्ध न कराना एक तरह से अपराध है। यूनियन ने मांग की है कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो और अगले वर्ष ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए कि श्रद्धालु बीच रास्ते से वापस न लौटाएं जाएं।
उन्होंने कहा कि यह घटना व्यापक संदर्भ में इसलिए चिंताजनक है, कि श्रद्धालुओं के ठहरने के लायक अधिकांश जमीन प्रशासनिक, वीआईपी, जिला पंचायत के लिए आरक्षित कर दी गई। किसान देश की रीढ़ हैं, फिर भी सरकारी योजनाओं में उनकी उपेक्षा जारी है।यह गुरु नानक देव जी के ‘सर्वे सांझीवाल’ के सिद्धांत के विपरीत है। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि सुधार न हुए तो किसान आंदोलन तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को चाहिए कि वह किसानों की पीड़ा समझे और मेले को सशक्त बनाए। अन्यथा किसान हक की लड़ाई में अडिग रहेंगे, क्योंकि अन्नदाता सम्मान, राष्ट्र का सम्मान है।

इस अवसर पर मौजूद रहे। राष्ट्रीय मुख्य सचिव अरुण सिद्धू, प्रदेश उपाध्यक्ष चौ.ओमप्रकाश सिंह, मंडल अध्यक्ष राहुल सिद्धू, छात्र संघ के जिला अध्यक्ष प्रिंस चौधरी, तहसील उपाध्यक्ष कैलाश नाथ,सानू चौधरी पंचम सिंह हिमांशु वर्मा आदि किसान लोगों मौजूद रहे।
