
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई संस्थापक इमरान खान को 9 मई के दंगों से जुड़े आठ मामलों में जमानत दे दी. कोर्ट ने लाहौर हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें पहले उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया गया था.
पाकिस्तान की शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश याह्या अफरीदी की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया. पीठ का पुनर्गठन दिन में पहले ही कर दिया गया था, जिसमें न्यायमूर्ति हसन अजहर रिजवी ने न्यायमूर्ति मियां गुल हसन औरंगजेब की जगह ली.
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष से दो प्रमुख बिंदुओं पर सवाल पूछे: क्या जमानत के मामले में अंतिम नतीजा दिया जा सकता है, और क्या इसमें संगति का सिद्धांत लागू होता है, क्योंकि शीर्ष अदालत ने पहले भी 9 मई के इसी तरह के षड्यंत्र के मामलों में जमानत दी थी.
विशेष अभियोजक जुल्फिकार नकवी ने एक दिन के स्थगन के बाद बहस फिर से शुरू करते हुए जोर देकर कहा कि जमानत आदेश हमेशा अंतरिम होते हैं और मुकदमे की कार्यवाही को प्रभावित नहीं करते. उन्होंने 1996 से 2024 तक के कई उदाहरणों का हवाला दिया.
हालांकि, अदालत ने गौर किया कि पिछले मामलों में, जिनमें पीटीआई नेता एजाज चौधरी से जुड़ा मामला भी शामिल है, साजिश के आरोपों के बावजूद जमानत दी गई थी. मुख्य न्यायाधीश अफरीदी ने अभियोजन पक्ष को यह बताने का निर्देश दिया कि खान का मामला किस तरह अलग है.