
दिल्ली शराब घोटाला केस में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है. केंद्रीय जांच एजेंसी उन्हें आज सुबह तिहाड़ जेल से लेकर राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंची. अवकाशकालीन पीठ के न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष केजरीवाल को पेश किया गया. सीबीआई ने कोर्ट से उनकी कस्टडी की मांग की. केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई का कारण यह था कि वह उस कैबिनेट का हिस्सा थे जिसने शराब नीति को मंजूरी दी थी. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि रिश्वत लेने के बाद दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 में हितधारकों के मन मुताबिक संशोधन किए गए. थोक विक्रेताओं के लिए प्रॉफिट मार्जिन 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया.
केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा- केजरीवाल को दूसरे मामले में न्यायिक हिरासत में रहते हुए सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया. कोई आदेश पारित हो गया है और हमें जानकारी नहीं है. जिस तरह से यह किया गया है वह गंभीर चिंता का विषय है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. हमें मीडिया से अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बारे में पता चला. हम मांग करते हैं कि सीबीआई की ओर से दाखिल रिमांड अर्जी की कॉपी हमें भी दी जाए.
केजरीवाल के वकील की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा- हमें जो समझ आ रहा है, चूंकि वह न्यायिक हिरासत में थे, इसलिए सीबीआई ने 24 तारीख को अदालत के समक्ष पूछताछ के लिए एक आवेदन दायर किया था. फिर एजेंसी ने कल प्रोडक्शन वारंट की अनुमति लेने और उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार करने के लिए आवेदन दिया. अभी तक उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है.
केजरीवाल के वकील ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा- अगर मामला कल रखा जाए और हमें कागजात दे दिए जाएं तो आसमान नहीं गिर जाएगा. कोर्ट ने केजरीवाल के वकील से कहा- चूंकि उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया है, कार्यवाही कहां से शुरू होगी? केजरीवाल के वकील ने फिर कहा- आप हमें आवेदन दाखिल करने दीजिए. हमें जवाब देने के लिए समय दीजिए. कल सबसे पहले इस पर सुनवाई हो सकती है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल कोर्ट की हिरासत में हैं, क्या उन्हें सुनवाई का हक नहीं है?
सीबीआई ने इसके जवाब में कहा ये दलीलें हमारी गिरफ्तारी के बाद आने दीजिए. क्या उन्हें इस स्तर पर सुना जा सकता है? सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने कहा- हम चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान ऐसा (केजरीवाल की गिरफ्तारी) कर सकते थे. हमने नहीं किया. हमने इतने समय तक इंतजार किया. फिर हमने उससे पूछताछ की. उनका कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हां, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पॉलिसी (उत्पाद शुल्क नीति) अधिसूचित होने से पहले ही आप दावेदार तलाशने लगते हैं. दिल्ली की राजनीतिक व्यवस्था ही इस काम में संलिप्त रही. आपने पॉलिसी को ठीक वैसा ही बनाया, जैसा दावेदार चाहते थे.