साल 2009 में एमबीए स्टूडेंट शाहीन मलिक (26) पर एसिड अटैक हुआ था, जिसके बाद पीड़िता की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई. गौर करने वाली बात यह है कि अभी तक शाहीन मलिक को इंसाफ नहीं मिल सका है और वे कोर्ट का चक्कर लगा रही हैं. आज यानी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. एसिड अटैक सर्वाइवर शाहीन मलिक व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में सामने पेश हुईं.
मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने उनके मामले में 2009 से सुनवाई लंबित होने पर सिस्टम पर गंभीर टिप्पणी की. CJI ने कहा कि मुकदमे की रोज़ सुनवाई होनी चाहिए, और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी हाई कोर्ट (HC) को सुओ मोटो लेना चाहिए कि मामलों की सुनवाई तेज़ी से हो.
सीजेआई ने कहा, “यह सिस्टम का मज़ाक है कि मामला 2009 से लंबित है. सिस्टम को ऐसे मामलों में जवाब देना चाहिए.” सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करने का फैसला किया. कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी हाई कोर्ट इस मुद्दे को उठाएं और यह तय करें कि एसिड अटैक के मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट द्वारा की जाए और तेज़ी से मुकदमा चलाया जाए.”
मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने पूछा कि आप पर 2009 में हमला हुआ था, मुकदमे में क्या हो रहा है?” CJI ने कहा कि कोर्ट स्वतः संज्ञान लेगा कि मुकदमे की हर दिन सुनवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, “अगर दिल्ली में ऐसा कुछ हो रहा है, तो इसे इस तरह होने नहीं दिया जा सकता है.” CJI ने आदेश दिया कि मुकदमे में तेजी लाई जानी चाहिए. शाहीन मलिक ने बताया कि उन पर 2009 में हमला हुआ था और 2013 तक कुछ नहीं हुआ. इसके बाद न्यायिक अधिकारी डॉ. परमिंदर कौर ने उनकी मदद की और मामला सुनवाई के लिए खोला गया.
शाहीन मलिक ने कहा कि यह जनहित याचिका (PIL) उन महिलाओं की मदद के लिए है, जिनके चेहरे पर एसिड फेंकने के बजाय उन्हें एसिड पिला दिया गया है. CJI ने कहा, “मैंने कल ब्रीफ पढ़ा और मैं हैरान था. अगर किसी को एसिड पिला दी, वह कैसे ज़िंदा है?”
सॉलिसिटर जनरल (SG) ने कहा, “मैंने भी फाइल पढ़ी है. एक पीड़ित, जिसे एसिड पीने के लिए मजबूर किया गया है, उसे भी एसिड अटैक पीड़ित में शामिल किया जाना चाहिए और पूरा मुआवजा और मेडिकल सहायता मिलनी चाहिए.”
